दुआ या बद्दुआ किसी के बोलने से नहीं किन्तु खुद के व्यवहार और कर्म से मिलती है इसलिए हमारा व्यवहार और कर्म सदा सुखदाई हो तो दुआए स्वत: मिलती रहेगी | Bk Shivani